*बाल गीत (पागल हाथी )*
बाल गीत (पागल हाथी )
गांव गांव में पागल हाथी।
नहीं किसी का होता साथी।।
जब देखो दौड़ा लेता है।
हाहाकार मचा देता है।।
पगलाया वह भाग रहा है।
सभी समय वह जाग रहा है।।
सोने का वह नाम न लेता।
जीना वह दूभर कर देता।।
उसे देख सब होते पागल।
जिसको देखो लगता पागल।।
पागल हाथी से सब पागल।
सबमें पागलपन सब पागल।।
साहित्यकार ऋतुराज वर्मा