बाल कुण्डलिया
जंगल मे फिर से लगा , बड़ा एक दरबार
खड़े शेर के सामने, बिल्ली करे गुहार
बिल्ली करे गुहार, बँधी ये घण्टी खोलो
करे न मुझको तंग,मूषकों से ये बोलो
हँसकर बोला शेर, नहीं कम तू भी छल में
होता है कानून, नहीं कोई जंगल में
20-03-2018
डॉ अर्चना गुप्ता