*बाल काले न करने के फायदे(हास्य व्यंग्य)*
बाल काले न करने के फायदे(हास्य व्यंग्य)
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मेरे विचार से सफेद बालों को काला करने में नुकसान ही नुकसान है । पहला नुकसान तो रुपए-पैसे का होता है । बाजार से डाई खरीदनी पड़ती है । महंगी डाई और भी अधिक पैसों की आती है । सस्ती डाई प्रायः केमिकल का दुष्प्रभाव दिखाती है, जो बाद में एलर्जी करने के कारण इलाज-खर्च जोड़कर देखा जाए तो और भी महंगी पड़ती है। दूसरी बात यह कि बालों में डाई स्थाई नहीं होती । इसे कुछ समय के अंतराल के बाद फिर से लगानी पड़ती है । अतः जिसे अपने सिर पर एक नियमित खर्च की टोकरी का बोझ लादना हो, वह बालों में डाई लगाना शुरू कर दे ।
बहुत से लोग शुरू में अत्यंत उत्साह के साथ अपने सफेद बालों को काला करते हैं। कुछ दिन वाह्य-रूप से युवा दिखते हैं, लेकिन उसके बाद जब डाई का दुष्प्रभाव उन्हें मालूम चलने लगता है तब वह डाई लगाना छोड़ देते हैं । परिणामत: उनके बाल पहले से ज्यादा सफेद दिखाई पड़ने लगते हैं । आपको जो लोग बाजारों में एकदम जवान से बूढ़े दिखाई देने लगें, तो समझ लीजिए यह डाई की महिमा है। इसका अर्थ यह है कि इन लोगों ने अभी हाल ही में डाई लगाना बंद किया है और अब इस बंदी का दुष्परिणाम बाल स्वत: बता रहे हैं । अगर वह डाई न लगाते, तो उनके बाल शायद इतनी जल्दी पूर्णतः सफेद नहीं होते ।
डाई लगाने के काम में दूसरा नुकसान यह है कि मेहनत और समय लगता है । मेहनत भी मामूली नहीं। एक-एक बाल को खोज-खोज कर काला करना पड़ता है । अगर मान लीजिए पंद्रह-बीस बाल तलाश में छूट गए और उन्होंने अपना सफेद रंग दिखा दिया, तो बाकी हजारों की संख्या में बालों को काला करने की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। पोल खुल जाएगी । लोग कहेंगे कि अरे ! इनके बाल तो सफेद थे, जो कि रॅंगने के कारण काले दिखाई पड़ रहे हैं । इसलिए बाल डाई करने वाला व्यक्ति अगर खुद डाई कर रहा है, तो दो-चार लोगों को अपने बालों की खोजबीन के काम में लगा देता है कि भाई साहब, जरा देख लीजिए कहीं कोई बाल काला होने से तो नहीं रह गया है !
जिस दिन बाल डाई किए जाते हैं, उस दिन पानी से मल-मल के धोना अनिवार्य हो जाता है, लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाता है कि साबुन न लगाया जाए । क्यों कि यह माना जाता है कि साबुन लगाने से काला रंग उड़ जाएगा और जो पैसा तथा मेहनत बालों को काला करने में की गई है, वह बेकार चली जाएगी ।
इन सब के बाद भी अगर किसी ने अपने बाल काले कर लिए, तो वह वरिष्ठता के महान पद से तो वंचित हो ही जाएगा। इस बात का महत्व लोग आसानी से नहीं समझ पाते। प्रायः संसार में सब लोग युवक दिखने को ही महत्वपूर्ण मानते हैं । बूढ़ा कोई नहीं दिखना चाहता । लेकिन सफेद बालों की एक अपनी गरिमा होती है । अगर छह जने किसी कार्यक्रम में श्रोताओं के रूप में विराजमान हैं और अकस्मात उनमें से किसी एक व्यक्ति को अध्यक्ष के आसन पर विराजमान करने पर विचार किया जाए तो पहली पसंद सफेद बालों वाला व्यक्ति ही रहेगा । कारण यह है कि सफेद बालों के साथ जीवन की परिपक्वता, अनुभवशीलता और वरिष्ठता स्वयं सिद्ध होती है । वरिष्ठ नागरिकों को जो बहुत से लाभ मिलते हैं, उनमें यह जरूरी नहीं होता कि आदमी अपनी जेब से अपनी उम्र का प्रमाण पत्र निकालकर दिखाता फिरे और उसके बाद ही उसे वरिष्ठ माना जाए । सफेद बाल खुद अपने आप में व्यक्ति की वरिष्ठता का प्रमाण पत्र होते हैं। जिन लोगों के सफेद बाल होते हैं, उन्हें समाज में बैठे-बैठे आदर और सम्मान प्राप्त हो जाता है । उनके चरण स्पर्श भी कर दिए जाते हैं । कई बार पचपन वर्ष की आयु में ही लोगों के बाल सफेद हो जाते हैं और अगर वह बालों को डाई करने के चक्कर में नहीं फॅंसे हैं तो वह समाज में वरिष्ठ और आदरणीय पद को सुशोभित करने लगते हैं।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
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