बाल कहानी- वादा
बाल कहानी- वादा
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आम के पेड़ पर एक चिड़िया अपने दो बच्चों के साथ रहती थी। बच्चे अभी काफी छोटे थे इसलिए चिड़िया जब दाने की तलाश में दूर जाती तो बच्चों को समझा-बुझाकर पेड़ पर ही रहने की सलाह देती थी, पर बच्चे बहुत शरारती थे। वे अभी उड़ना नहीं जानते थे, पर फुदक-फुदककर कूदते-उलझते रेंगते हुए या गिरते-पड़ते किसी भी तरह से आस-पास के पेड़ पर चले जाते। जब चिड़िया वापस आती तो बच्चे अक्सर किसी और ही जगह पर या किसी और पेड़ पर ही मिलते थे। ये रोज़ का किस्सा बन गया था। चिडिया समझाते-समझाते थक गई थी, पर बच्चे शरारत से बाज नहीं आते थे।
इनकी शरारतों की वजह से ही चिड़िया ने बच्चों का नाम चंकू, मंकू रखा था।
रोज़ की तरह आज भी चिड़िया भोजन की तलाश में जा रही थी। जाते वक़्त चंकू, मंकू को समझाते हुए बोली-“बच्चों! मेरी वापसी तक अपना खयाल रखना.. ज्यादा दूर न जाना। आस-पास बहुत खतरा है। जब मैं तुम दोनों से दूर भोजन की तालाश में जाती हूँ तो मुझे तुम दोनों की बहुत फिक्र रहती है, पर तुम दोनों मेरी बात मानते ही नहीं हो। अगर मेरे बच्चों तुम्हारे साथ कुछ अनहोनी हो गयी तो मैं पल-भर भी जीवित नहीं रह पाऊँगी।” इतना कहकर चिड़िया की आँख नम हो गयी। होंठ खामोश हो गये।
चंकू, मंकू माँ से चिपट गये और माफ़ी माँगते हुए बोले-,”माँ! अब हम कोई शरारत नहीं करेंगे। आपकी हर बात मानेंगे। हम दोनों लोग घर पर ही रहेंगे। कहीं नहीं जायेंगे। आप रोये नहीं, आप खुशी-खुशी भोजन लेने जायें।
माँ! हम आपसे वादा करते हैं कि हम अब शरारत नहीं करेंगे। हम यहीं पेड़ पर रहेंगे। इधर-उधर कहीं नहीं जायेंगे।”
बच्चों की बात सुनकर चिड़िया खुश हुई। बच्चों पर एतबार कर चिड़िया भोजन की तालाश में गयी और जब वापस आई तो बच्चों को अपनी ही जगह पर देख कर बहुत खुश हुई।
शिक्षा
माँ-बाप का कहना मानना हमेशा बच्चे के हित में होता है।
शमा परवीन, बहराइच (उ०प्र०)