बाल कविता
बाल कविता
“चंदा मामा”
चंदा मामा….चंदा मामा
हम दोनों से….मेल मिलाना
नन्हें-नन्हें….साथी हैं हम
आज मधुर तुम….गीत सुनाना।
सीढ़ी पर चढ़….मिलने आए
हँसकर हमको….गले लगाना।
साथ सितारों…. को लेकर तुम
लुका-छिपी का….खेल खिलाना।
घटता-बढ़ता…. रूप तुम्हारा
आज हमें भी….तुम दिखलाना
धरती के पा….सपन सलौने
बाँट प्रेम से…. सब इठलाना।
खीर-बताशे…. लेकर आए
अपने हाथों….हमें खिलाना
प्यारे मामा…. कहलाते हो
दिव्य लोक की….सैर कराना।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर