बाल कविता शेर को मिलते बब्बर शेर
शेर को मिलते बब्बर शेर
बिल्ली बोली म्याऊं म्याऊं
शेर की मैं मौसी कहलाऊँ
चुपके से मैं घर में आती
दूध मलाई चट कर जाती
हैं चूहे मुझसे घबराते
मुझे देख बिल में घुस जाते
बिल्ली मार रही थी डींग
जैसे निकल आये हों सींग
पाया ज्यों ही अच्छा मौका
तभी एक कुत्ता फिर भौका
तुरत फुरत सी बुद्धि जागी
कुत्ता देख के बिल्ली भागी
धरती पर है, ना अंधेर
शेर को मिलते बब्बर शेर।।
डॉ विवेक सक्सेना
नरसिंहपुर (मध्यप्रदेश)