बाल कविता: मेलों का मौसम है आया
बाल कविता: मेलों का मौसम है आया
*****************************
धूप गुनगुनी मन को भाई
हल्की ठंड सुहानी आई (1)
मूँगफली अब अच्छी लगती
टूँग – टूँग कर सब ने खाई(2)
कूड़ा- करकट धूल हट रही
घर – घर देखो शुरू पुताई(3)
रावण मारा रामचंद्र ने
सिया कैद से गयीं छुड़ाई(4)
मेलों का मौसम है आया
मस्ती भीतर -बाहर छाई(5)
*********************
रचयिता : रवि प्रकाश, रामपुर