बाल कविता- बस्ता
बाल कविता- बस्ता
…
खुद से भारी बस्ता ढोकर
गिर जाते हैं बेसुध होकर
आज दिवस छुट्टी का आया
हम बच्चों के मन को भाया
बस्ते को अब कर के टाटा
खूब करेंगे सैर सपाटा
चलो आज करने मनमानी
मस्ती में डूबी शैतानी
– आकाश महेशपुरी
बाल कविता- बस्ता
…
खुद से भारी बस्ता ढोकर
गिर जाते हैं बेसुध होकर
आज दिवस छुट्टी का आया
हम बच्चों के मन को भाया
बस्ते को अब कर के टाटा
खूब करेंगे सैर सपाटा
चलो आज करने मनमानी
मस्ती में डूबी शैतानी
– आकाश महेशपुरी