बालगीत
प्यारी चिड़िया
उमेशचन्द्र सिरसवारी
देखो नन्हीं-मुन्नी चिड़िया,
मन को भाती प्यारी चिड़िया।
कभी फुदकती इधर-उधर को,
फुर्र कभी हो जाती चिड़िया।
दाने डालूँ जब आँगन में,
रोज सवेरे आती चिड़िया।
चीं-चीं करके गीत सुनाती,
सबका मन बहलाती चिड़िया।
चुन्नू-मुन्नू पकड़ने दौड़ें,
हाथ कभी ना आती चिड़िया।
कभी ना थकती, जी ना चुराती,
मेहनत करती जाती चिड़िया।।
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