बाल कविता – पीढ़ी
पीढि दर पीढ़ी खेल रहे, सब करते हुए काम,
आओ, शुरू करें अंताक्षरी लेकर हरि का नाम।
म से मम्मी की मम्मी थीं, कहलाती थीं नानी,
जन्म लिया जब मैंने, नानी की पीढ़ी पहली जानी।
न से नातिन आई जग में, बेटी की भी पीढ़ी बदली,
बदलता रहता समय चक्र, आ जाती पीढ़ी अगली।
ल से लड्डू पेड़े खाकर, सब देते खूब बधाई,
जन्म लेती जब नई पीढ़ी, बजते ढोल और शहनाई।
इ से इत्र सी महकती, ये पीढियाँ पक्की-कच्ची
मिटती जायेंगी, नई आयेंगी, बात है ये सच्ची।
च से चार माँ, चार बेटी से, बनी पाँच ये पीढ़ी,
बढ़ती जायेगी ऐसे ही, खत्म न होगी ये सीढ़ी।
ढ से ढपली बजा-बजाकर, लेते पीढ़ियों के नाम,
आओ, शुरु करें अंताक्षरी, लेकर हरि का नाम।
रचयिता–
डॉ नीरजा मेहता ‘कमलिनी’