बाल उमंग ( बाल कविता)
आज गेंद-सा ,
मैं उछलूंगा ।
आगे बढ़ने
को दौड़ूंगा ।
बड़ी खाईंयां ,
मैं लांघूंगा ।
जीवन को अब,
मैं जानूंगा ।
पापा से यह ,
गेंद मंगाई ।
जैसे – लड्डू
और मलाई ।
इसे फेंककर,
मैं उछलूंगा ।
और पकड़ने
को दौड़ूंगा ।
आज गेंद-सा ,
मैं उछलूंगा ।
आगे बढ़ने
को दौड़ूंगा ।
बड़ी खाईंयां ,
मैं लांघूंगा ।
जीवन को अब,
मैं जानूंगा ।
पापा से यह ,
गेंद मंगाई ।
जैसे – लड्डू
और मलाई ।
इसे फेंककर,
मैं उछलूंगा ।
और पकड़ने
को दौड़ूंगा ।