बाल अधिकार
???ललित छंद???
हम छोटे-छोटे बच्चे हैं,
दे दो अधिकार सही।
हमेशा बड़ों की मनमानी,
हमको स्वीकार नहीं।
खेलें – कूदे धूम मचाये,
हम बच्चों का नारा।
खुलकर बचपन को जीने दो,
यह अधिकार हमारा।।
हम अल्हड़, कोमल, नटखट है,
फूलों-सा हैं प्यारा।
गंगा-सा पावन मन मेरा,
भगवन रूप हमारा।।
तुम सब आपस में लड़ते हो,
हम मिलकर रहते हैं।
भेदभाव को भूलकर सभी,
साथ में खेलते हैं।।
शिक्षा विकास की प्रथम सीढ़ी,
नित नया सीखने दो।
खुली नभ में पंख फैलाये,
मुझको उड़ जाने दो।।
बेमतलब यूं रोक-टोक के,
सीमा में ना बांधो।
चुनने दो अपने सपने भी,
जो मर्जी बनने दो।।
मम्मी-पापा और गुरू जी,
कान खोल कर सुन लें।
मार-पीट कर हम पर अपना,
उपदेश नहीं डालें।।
गीली-मिट्टी के समान हैं,
होते कागज कोरी।
ममता-दुलार से जो चाहो,
लिख दो थोड़ी-थोड़ी।।
बस्ते का बोझ नहीं डालो,
जी भर कर जीने दो।
मासूम मुस्कान बचपन की,
मुख पर खिल जाने दो।।
बचपन की हर शरारतों को,
मनभावन होने दो।
बचपन की हर किलकारी को,
मीठी-सी होने दो।।
ममता – दुलार बेशुमार से,
जीवन भर जाने दो।
जो अधिकार मिला बचपन को,
उस में ही पलने दो।।
????-लक्ष्मी सिंह ?☺