बालि हनुमान मलयुद्ध
बालि को मिला वरदान, अभिमान हो गया।
लड़ने को वे पवन पुत्र से, यु आतुर हो गया।।
समझा रहे हनुमान, कुछ ना सुनता बालि,
उकसाने को ईश निन्दा राम कि कर गया ।।
निन्दा सुन राम की, महावीर को क्रोध आगया ।
बालि संग महावीर का, मलयुद्ध शुरू हो गया।
वरदान स्वरूप हनुमान कि, शक्ति बालि मे आगयी,
पवन पुत्र के तेज से बालि, भारी व गुब्बारा हो गया।
बालि अपने वरदान के, अभिमान में चूर-चूर हो गया।
मलयुद्ध को छोड़ कर भागने को, वह मजबुर हो गया।।
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
चित्तौड़गढ़ 9829246588