बालिका शिक्षा
गीत_सह लई बहुत ज्यादती माँ,
सह लई बहुत ज्यादती माँ,मुझको विद्यालय जाना है।
कब तक रोऊँ चुपके-चुपके,ना आँसू और बहाना है।।
सुबह सवेरे जल्दी उठकर,काम में हाथ बटाऊॅगी,
जो भी दे खाने को मुझको, रूखा सूखा खाऊॅगी,
ना ०तुझको कभी सताऊँगी,प्रण करके आज,निभाना है।
सह लई बहुत ज्यादती माँ,मुझको विद्यालय जाना है।।
मर्यादा भी भूलूॅ ना,कभी दूध ना तेरा लजाऊँगी’।
नाज़ करेगी इस बेटी पर,नाम तेरा कर जाऊॅगी।।
झोली तेरी भार जाऊँगी, फ़ूलों का बाग लगाना है।
सह लई बहुत ज्यादती माँ,मुझको विद्यालय जाना है।।
दम तोड़ ना दें अरमाँ ये हसी,फ़रियाद मेरी अब सुन लेना।
जिगर के टुकड़े की राहों के कांटे भी तू चुन लेना।।
माला ऐसी फिर बुन लेना,ममता के फूल पिरोना है।
सह लई बहुत ज्यादती माँ,मुझको विद्यालय जाना है।।
कहे ज़माना मुझको अबला, कैसे ये सह पाऊँ मै।
आँच अगर अस्मत पर आए,रण-चणङी बन जाऊँ मैं।।
दुष्टों को काट बगाऊँ मैं,फिर खून से तिलक सजाना है।
सह लई बहुत ज्यादती माँ,मुझको विद्यालय जाना है।।
सह लई बहुत ज्यादती माँ,मुझको विद्यालय जाना है।
कब तक रोऊँ चुपके-चुपके,ना आँसू और बहाना है।।
✍ शायर देव मेहरानियाँ
अलवर, राजस्थान
(शायर, कवि व गीतकार)
slmehraniya@gmail.com