बालगीत
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छोटी चिड़िया
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देखो मोनू !
छोटी चिड़िया
चोंच झुकाकर पड़ी उदास
दाना उसके एक न पास
टपक रहा है टप टप पानी
भीग रही है मड़ई रानी
मुझे बचाओ मुझे बचाओ
है चिल्लाती बड़की नानी
गिरा पड़ा है अंडा नीचे
नहीं बची बचने की आस
तिनका-तिनका चुनकर लाती
एक घोंसला गाँव बसाती
बच्चों खातिर दाना लाने
दूर-दूर तक उड़-उड़ जाती
देखो तोता ! आकर बैठा
छोटी चिड़िया के अब पास
चलो-चलो हम ! दे आते हैं
रोती चिड़िया को कुछ रोटी
चार दिनों में हो जायेगी
वह भी हाथी जैसा मोटी
उड़-उड़कर दाने लायेगी
और बुझा लेगी खुद प्यास
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ