*बालगीत-चंदा मामा*
प्यारे-प्यारे चंदा मामा,
दूर गगन में रहते हो,
लगते बड़े सलौने मुझको,
मुझसे ना बतियाते हो।
रोज़-रोज़ मैं तुम्हें बुलाता,
फिर भी कभी ना आते हो,
दूर-दूर से देख के तुमको,
मैं तो खुश हो जाता हूँ।
गोल-गोल से कभी तुम दिखते,
कभी आधे रह जाते हो,
तुम्हारी जादूगरी देख के,
मैं तो दंग रह जाता हूँ।
कभी बादल के पीछे छिपते,
कभी सामने आ जाते हो,
लुका-छिपी का खेल निराला,
मुझको रोज़ दिखाते हो।
चम-चम करते सुन्दर तारे,
कहाँ से बोलो लाते हो,
रात हुई तो दिख जाते हो,
दिन में कहाँ छिप जाते हो।।
✍माधुरी शर्मा ‘मधुर’
अम्बाला,हरियाणा।