Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2019 · 1 min read

बारिस हो इतनी ,कि सब नफरते धुल जाये —आर के रस्तोगी

बारिस हो इतनी,कि सब नफरते धुल जाये |
आपस के हमारे सब गिले-शिकवे धुल जाये ||

इन्सानियत तरस गयी है,अब मोहब्बत के शैलाब को |
मन-मुटाव को छोड़ कर एक दूजे के गले मिल जाये ||

फट गये है जो दिल,आपस के मन मुटाव से |
सिलाई कभी न उधडे,ऐसे वे अब सिल जाये ||

अमन चैन हो दुनिया में,दुश्मनी किसी से न हो |
दोस्ती के सभी दरवाजे,सभी के लिये खुल जाये ||

जाति-धर्म का कोई भेद न हो,बस एक हिन्दुस्तान हो जाये |
सियासत अब बंद हो,सभी एक दूजे की पार्टी में मिल जाये ||

गुजारिस है रस्तोगी की सभी से,सब एक हो जाये |
फिरका परस्ती छोड़ कर,सब आपस में मिल जाये ||

आर के रस्तोगी
मो 9971006425

424 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all

You may also like these posts

2. काश कभी ऐसा हो पाता
2. काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
"समझो जरा"
Dr. Kishan tandon kranti
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
!! फूलों की व्यथा !!
!! फूलों की व्यथा !!
Chunnu Lal Gupta
मंजिल की चाह
मंजिल की चाह
Anant Yadav
सोच समझ कर
सोच समझ कर
पूर्वार्थ
আল্লা আছেন তার প্রমাণ আছে
আল্লা আছেন তার প্রমাণ আছে
Arghyadeep Chakraborty
सविधान दिवस
सविधान दिवस
Ranjeet kumar patre
प्रेम दोहे
प्रेम दोहे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
दुनिया में कहीं से,बस इंसान लाना
दुनिया में कहीं से,बस इंसान लाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हालात ए वक्त से
हालात ए वक्त से
Dr fauzia Naseem shad
शीर्षक: पापी मन
शीर्षक: पापी मन
Harminder Kaur
जिन्हें नशा था
जिन्हें नशा था
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सवैया
सवैया
अवध किशोर 'अवधू'
राख देख  शमशान  में, मनवा  करे सवाल।
राख देख शमशान में, मनवा करे सवाल।
गुमनाम 'बाबा'
ऊपर बने रिश्ते
ऊपर बने रिश्ते
विजय कुमार अग्रवाल
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
कृष्णकांत गुर्जर
दोस्त
दोस्त
Pratibha Pandey
ग़ज़ल 3
ग़ज़ल 3
Deepesh Dwivedi
कर्मफल का सिद्धांत
कर्मफल का सिद्धांत
मनोज कर्ण
खुला मैदान
खुला मैदान
Sudhir srivastava
"समझदार लोग किसी की ईंट के बदले पत्थर नहीं फेंकते। ईंटों को
*प्रणय*
राही
राही
Vivek saswat Shukla
*जख्मी मुस्कुराहटें*
*जख्मी मुस्कुराहटें*
Krishna Manshi
"सुन रहा है न तू"
Pushpraj Anant
बीते पल
बीते पल
अनिल "आदर्श"
*समीक्षा*
*समीक्षा*
Ravi Prakash
मिडल क्लास
मिडल क्लास
Deepali Kalra
सांत्वना
सांत्वना
भरत कुमार सोलंकी
मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
Subhash Singhai
Loading...