बारिश
बारिश
उदक फुदक-फुदक कर ,
छन-छन-छनकता हुआ,
मेघों के पारभाषी आंचल से
टपक-टपक-टपक रहा ।
तरूवर चुप खड़े निढाल से
फुनगियों को अंदर मुंदे हुए
मोती सा धरती पर गिरता
छप की ध्वनि कर रहा ।
मेघों के पारभाषी आंचल से
टपक-टपक-टपक रहा ।
चमकीली दमकीली यामिनी
नवल धवल स्वच्छ चांदनी
नौका रूपी मेघों के मध्य
तड़-तड़ कौंधती हैं बिजलियां
मेघों के पारभाषी आंचल से
टपक-टपक-टपक रहा ।
नवल पाल प्रभाकर