बारिश
बारिश
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मेरे घर के बाहर बारिश
तेरे घर के बाहर बारिश
सबके घर के बाहर बारिश
आओ धूम मचाएँ हम।
तुम भी झूमो,हम भी झूमे
बारिश की बूंदों को चूमे
सब पीर नीड़ से दूर रहें
महुआ पलाश की डाली लचके
ऐसे झूमे गाएँ हम
आओ धूम मचाएँ हम।
वृक्ष झुक रहा,झुकी है डाली
पुष्प सुवासित,आनंदित है
मेढक,झिंगुर भी गाते हैं
नाचें और नचाएँ हम
आओ धूम मचाएँ हम।
बारिश के बूंदों में गीत
पत्तों का कलरव संगीत
गाएँ खग भी झूम-झूमकर
रहे प्रीत-रीत संगीत
पल-पल झूमें गाएँ हम
ऐसे धूम मचाएँ हम
ऐसे धूम मचाएँ हम।
✍️अनिल मिश्र’अनिरुद्ध’
राँची,झारखंड©️®️