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31 Jul 2021 · 1 min read

बारिश

बारिश की बूंदे
गिरें छम छम
जैसे पैरों में बंधी
पायल के घुंघरू करें
रुनझुन रुनझुन
न कोई गायक गा रहा
न कोई नृत्यांगना नृत्य कर रही
न कोई राग अलाप रहा
न कोई साज बजा रहा
लेकिन सारा वातावरण सुरमई
एक जादू की नगरी सा रसमई
यह बादलों का
आसमान से
मेरे आंगन में
उतरा रथ जब
आकाश लोक के लिए
वापिस मुड़ जायेगा तो
मेरे पास उसका दिया
बारिश की बूंदों का
एक नायाब तोहफा ही तो
रह जायेगा पर
वह तो
मुझे छोड़
मुझसे दूर
अपने देश को लौट जायेगा।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 524 Views
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