बारिश बूँदे बरस रही
*****बारिश बूंदें बरस रही****
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मन में मोहब्बत बरस रही है,
नजरें दर्शन को तरस रही हैं।
कोई खुशी का ठिकाना नहीं,
तस्वीर ख्वाबों में दर्श रही है।
आलम दिल का बता सकते नहीं,
बौहें खिल खिल कर हर्ष रही है।
हुस्न की मल्लिका की हसीं हँसी,
हृदय अन्दर खूब रस रही है।
मनसीरत आँखों में है नमी सी,
हों बारिश बूँदे बरस रही है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)