बारिश की बूंदें
धूप को छुपाकर जब
आकाश में छा जाते
खूब अंधेरा करते है
ये काले काले बादल।।
कभी बरसते है
कभी बिना बरसे
ही चले जाते है
लेकिन हमेशा नई
उम्मीदें जगा जाते है
ये काले काले बादल।।
बढ़ जाए गर्मी तो
हो जाए बारिश थोड़ी
होती है सभी की चाहत
जब बरसती है चंद
बूंदें बारिश की धरा पर
गर्मी से देती है राहत।।
पपीहे की प्यास
बारिश की ये बूंदें
ही तो बुझाती है
प्रेमियों के दिल में
मिलने की आस
भी यही जगाती है।।
उम्मीद तो है अब
उस धरा को भी
जो प्यासी हो चली है
बारिश की आस में
चंद बूंदों के लिए
जो अब फट पड़ी है।।
अन्नदाता भी अब
आस लगाए बैठा है
होगी जब बारिश तो
नई फसल लगाने के
इंतजार में बैठा है।।
जो आए है गगन में
आज ये काले बादल
है सब बारिश की आस में
मोर भी वन में नृत्य कर
मनमोहक दृश्य दिखा
झूमे बारिश की आस में।।
जो आज बरस रही
ये पानी की बूंदें
है सबकी प्यास बुझा रही
सबकी उम्मीदें पूरी कर
और सपने नये दिखाकर
है जिंदगी आगे बढ़ा रही।।