बारिश की तरह
मेरे दिल ने तुझे हमेशा
देखा है बारिश की तरह
नाचने को मजबूर करती है
तेरी मौजूदगी आँसू भी दे जाती है
जिस तरह लंबी गर्मियों के बाद
सुकून लाती है बारिशें
क्या तू भी लौटेगी मेरे पास
मुझे अपनी चाहत में भिगाने को
या सर्दियों की उन बारिशों की तरह
मौसम और ठंडा कर जाएगी
मुझे कांपते हुए छोड़, जमे हुए जज़्बात
जैसे अक्सर ही मुझे दे जाती है
बौछारें तेरी जब रेत पर पड़ेंगी
धूल उड़ती हुई शांत वो करेगी
मन हो मेरा अशांत, तेरी सूरत का
ख़याल आते है ही शांत कर जाती है
–प्रतीक