Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jul 2021 · 1 min read

बाबूजी

‘बाबूजी’ के उपनाम से ख्यात स्व. जगजीवन राम भारतीय राजनीति के वैसे चट्टान थे, जो 1937 से 1986 (मृत्युपर्यंत) तक लगातार विधायक व सांसद जरूर रहे और देश के प्रथम श्रम मंत्री से लेकर 40 साल तक हर प्रधानमंत्री के अधीन केंद्रीय मंत्री पद को सुशोभित किया।

कांग्रेस -जनता पार्टी- कांग्रेस समीकरण में रहे, रेल मंत्री रहे, रक्षा भी और अंततः उप प्रधानमंत्री भी बने । देश में ‘सरकारी जन वितरण प्रणाली’ की जो दूकान है, उन्हीं की देन है । प्रथम महिला लोकसभाध्यक्षा और बीते राष्ट्रपति पद के ‘रनर’ उम्मीदवार श्रीमती मीरा कुमार उन्हीं की संतान है।

8 जून 1986 को महर्षि मेंहीं ब्रह्मलीन हुए थे, तो एक माह बाद 6 जुलाई को ‘बाबूजी’ जगजीवन राम इस रूहानी दुनिया को कूच कर गए । उनकी पावन पुण्यतिथि पर इस ‘जग के जीवन’ को सादर नमन और श्रद्धांजलि !

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 532 Views

You may also like these posts

शहर को मेरे अब शर्म सी आने लगी है
शहर को मेरे अब शर्म सी आने लगी है
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
परवरिश
परवरिश
dr rajmati Surana
निश्चित जो संसार में,
निश्चित जो संसार में,
sushil sarna
कविता - नन्हीं चींटी
कविता - नन्हीं चींटी
पूनम दीक्षित
* शक्ति है सत्य में *
* शक्ति है सत्य में *
surenderpal vaidya
वृक्ष मित्र अरु गुरू महान
वृक्ष मित्र अरु गुरू महान
Anil Kumar Mishra
आधे अधूरे ख्वाब
आधे अधूरे ख्वाब
ललकार भारद्वाज
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
Manoj Mahato
क्या होता है रोना ?
क्या होता है रोना ?
पूर्वार्थ
मुक्तक
मुक्तक
गुमनाम 'बाबा'
न लिखना जानूँ...
न लिखना जानूँ...
Satish Srijan
15, दुनिया
15, दुनिया
Dr .Shweta sood 'Madhu'
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?
Pratibha Pandey
अवंथिका
अवंथिका
Shashi Mahajan
"इच्छाएँ"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी में कामयाबी ज़रूर मिलती है ,मगर जब आप सत्य राह चुने
ज़िंदगी में कामयाबी ज़रूर मिलती है ,मगर जब आप सत्य राह चुने
Neelofar Khan
इतना गिरा जमीर
इतना गिरा जमीर
RAMESH SHARMA
सुन्दरता
सुन्दरता
Rambali Mishra
फ़लसफ़े - दीपक नीलपदम्
फ़लसफ़े - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
" मेरी जान "
ज्योति
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
!..............!
!..............!
शेखर सिंह
. *प्रगीत*
. *प्रगीत*
Dr.Khedu Bharti
हम भारिया आदिवासी
हम भारिया आदिवासी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
..
..
*प्रणय*
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आंसू
आंसू
Uttirna Dhar
ओलम्पिक खेल का उद्देश्य
ओलम्पिक खेल का उद्देश्य
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
दुनिया का सबसे बड़ा पुण्य का काम किसी के चेहरे पर मुस्कान ला
दुनिया का सबसे बड़ा पुण्य का काम किसी के चेहरे पर मुस्कान ला
Rj Anand Prajapati
Loading...