बाबूजी! आती याद
बाबूजी! आपके जाने के बाद
आती याद,
वो बचपन की बातें
सुबह जब जगाते,
पहले देह दबाते,
बालों में उँगलियाँ फिराते
फिर धीरे से जगाते।
आती याद,
होता साथ-साथ;
खाना-पीना-सोना,
एक साथ तैयार होकर
मैं स्कूल और आपका कचहरी जाना,
फिर जाते वक्त
‘विश यू गुड डे’ का आशीर्वाद पाना।
आती याद,
आपका बिस्तर पकड़ना,
मेरा ऑफिस जाने वक्त
जल्दी आने के वादे के साथ
विदा करना,
आपकी अंतिम घड़ी;
मैं कॉरोना से पीड़ित बेबस दूर खड़ा,
आपका पास बुलाते-बुलाते
सदा के लिए गुम हो जाना।
बाबूजी! आती याद….
श्री रमण
बेगूसराय