Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2022 · 1 min read

बाबुल की स्मृति चिन्ह

डॉ अरूण कुमार शास्त्री 💐 एक अबोध बालक💐 अरुण अतृप्त

बचपन से लेकर मानस में
नाम एक ही चिन्हित है
सारे जग से जो अलग थलग
सर्वाधिक सर्वोच्च सर्वोत्तम है
तात कहो पिता कहो , बाप कहो
बाबू कहो या फिर कह लो अब्बा
अपनी सन्तति की संस्कृति में
उसको बाबुल की स्मृति अटल गहो
थी छोटी सी काया जबसे
जीवन के शुरुआती सन्दर्भ सभी
कोमलता की कोंपल से थे तबसे
सब याद रहे हम बच्चों को
क्योंकि हम सब पैदा थे तुम्हरें तन से
किस रूप हमें पाला पोसा
किस रूप हमें आधार दिया
हे बाबुल तेरी नगरी में जब
हमरे यौवन का अधिकार मिला
हम आज खड़े तन वृक्षों से
हम आज सबल हम आज सफल
धरती के पुत्र कहाते हैं
हम मातृभूमि के मतबाले
ले कीर्ति पताका को तेरी
सकल विश्व लहराते हैं

3 Likes · 6 Comments · 484 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
Loading...