बाबुल का अंगना
याद आता है मुझे बाबुल का अंगना
वो नीम का पेड़ और डाली पर झूला
वोआंगन में खेलता बचपन मेरा
कभी इतराती, कभी इठलाती
हवा के झोंके सी बलखाती
बिना पंख के खुले आसमान में उड़ जाती हैं
याद आता है मुझे बाबुल का अंगना
अंगना अब भी है पर बाबुल का नहीं
नीम का पेड़ अब भी है पर डाली पर झूला नही
आसमान अभी है पर उड़ती नहीं
मैं तो अभी हूं पर मेरा बचपन नहीं
याद आता है मुझे बाबुल का अंगना
वह आंगन में खेलता बचपन मेरा