बाबा
बाबा बाबा करो नहीं धरो प्रभु का ध्यान,
जन्म सफल हो जायेगा हरी लगायें पार
हरी लगायें पार मिले हर पाप से मुक्ति,
पाप मुक्त हो जीवन नहीं दूजा युक्ति
कहै “सचिन” कविराय बनो नहीं फिर से मामा
बीना प्रभु के कभी नहीं कुछ करेंगे बाबा।।
.
बाबा ओं की भीड़ में धर्म का होता हान
धर्म सनातन चीख रहा सह न सके अपमान
सह न सके अपमान सुनाये ब्यथा ये किसको
हत्यारा वहीं आज दिया था मान ये जिसको
कहे “सचिन” कविराय पहन कर गेरुआ जामा
सबको मूर्ख बनाते ये पाखंडी बाबा।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
28/8/2017