बाबा , बेबी।
2024 के आम चुनाव समाप्त हो चुके हैं। देश के चिर युवा नेता मुंह लटकाए , रोनी सूरत बनाए बैठे हुए हैं। उनके आगे पीछे उनके चिर परिचित सलाहकार बुझे हुए चेहरे पर जबरदस्ती चमकीली मुस्कान चेंपे झूठे आत्मविश्वास का दिखावा कर रहे हैं।
पत्रकार – सर , सर आपने एक्सरे करवाने की बात की थी , करवाए ?
पत्रकार – सर, सर आपने सीटी स्कैन करवाने को कहा था , करवाया ?
पत्रकार – सर, सर आप एमआरआई करवाने वाले थे , करवाई ?
नेता जी को कुछ भी बोलने को प्रस्तुत न होते देख उनका एक सलाहकार आगे आया और बोला – एक्सरे , सीटी स्कैन, एमआरआई तीनों हो चुके हैं , और उनकी रिपोर्ट भी आ चुकी है।
पत्रकारों का समूह एक स्वर में – क्या , क्या ….. , क्या रिपोर्ट है ?
सलाहकार – वही जो निरपेक्ष पत्रकार पहले से जानते थे , इनके skull (खोपड़ी) में भेजा ही नहीं है।
पत्रकारों का समूह एक स्वर में – फिर ! देश का क्या होगा ! क्रांति कैसे आएगी ! गरीबी , बेरोजगारी ……।
सलाहकार – देश उसकी चिंता न करे , बागडोर अब बाबा के हाथो से लेकर बेबी के हाथो में दी जाएगी।
पत्रकारों का समूह एक स्वर में – क्याया !
Kumar Kalhans