बाप या अभिशाप
विषय :बाप या अभिशाप
माँ धरती है तो पिता आसमान
माँ जननी है तो पिता जनक
पिता होते हैं छत्रछाया
पिता देते हैं सुरक्षा
पिता करते हैं सुरक्षित घर परिवार को
जीवन चक्र में आज मुझ जैसा
पति बन गया है पत्नी के लिए श्राप
और अपने बच्चों के लिए पाप और अभिशाप
और माँ बाप के लिए नासूर
जो बाप बच्चे को शिक्षा ना दिला सके
किस काम का ऐसा बाप
जो बाप समय पर बिटिया को ना ब्याह सके
जो बाप बिटिया को सही इलाज ना दे सके
वो बाप है इस धरती पर पाप
जो बाप बच्चों से उनका बचपन छीन ले
जिस बाप के कारण बच्चे अपने सपनों -ख्वाहिशों को मार लें
जो बाप बच्चे की निगाह में नख से शिखर तक हो गुनहगार
जिस बाप को मात्र पैदा करने के कारण बच्चों को कहना पड़े बाप
उसका बाप का जीना है व्यर्थ और अभिशाप
हे ईश्वर मुझ जैसा बेटा किसी माँ बाप को ना देना
हे परमपिता मुझ जैसा पति किसी भी कन्या को ना देना
और हे सृष्टिपालक मुझ जैसा बाप कभी किसी औलाद को सपनों में भी ना देना
इन्हीं के लिए नहीं कुछ रिश्तों के लिए भी बन गया हूँ में पाप
हे परमपिता इतना रहम करना
कुछ ख़ुशी के पल -थोड़ी छाँव -सुरक्षा दे पाऊँ
इन मुरझाये चेहरों पर थोड़ी हंसी ला पाऊँ
रिश्तों की शर्मिंदगी से बच पाऊँ
मुझे पता है बच्चों के लिए मैं वो जहर बन गया हूँ
जिसे देखना और निभाना उनकी मजबूरी
हे ईश्वर रुखसत होने से पहले इस दुनिया से
माँ बाप -पत्नी -बच्चों और रिश्तों से
वो सब कर जाऊँ की जिससे मेरी मौत पर भी ना मुझे गाली मिले
हे ईश्वर ऐसा मजबूर -बेबस -लाचार बाप कभी किसी को ना बनाना और न देना
बाप ना हो चलेगा
पर मुझ जैसा बाप
केवल है श्राप और अभिशाप