बापू
बापू ने राह दिखाई थी……
बेड़ियों में थी देश की आज़ादी
अंग्रेज़ों से त्रस्त थी सारी आबादी
भटक रहे थे देश के लोग
जब तड़प रहे थे देश के लोग
तब बापू ने राह दिखाई थी……
ज़ुल्म और हिंसा का दौर चरम पर था
अंधकार ही अंधकार मचा था
स्वतंत्रता के सेनानी बिखरे हुए थे
जब नौजवानों के कदम उखड़े हुए थे
तब बापू ने राह दिखाई थी……
देश में एकता और अखंडता की कमी थी
माताओं और बहनों की आँखों में नमी थी,
देश पर जब अधिकार हमारा न था
जब हमारी आज़ादी अंग्रेज़ों को गवारा न था
तब बापू ने राह दिखाई थी……
“सत्य और अहिंसा” का पाठ बापू ने पढ़ाया
“अनेकता में एकता ” का मंत्र बापू ने दिया
“त्याग और बलिदान” से रहना बापू ने सिखाया
जब स्वच्छता की समाज को ज़रुरत थी
तब बापू ने राह दिखाई थी……
देश को आज़ादी दिलाई थी ….