बाधाएं आती हैं आएं घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंग
बाधाएं आती हैं आएं घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंगारे सिर पर बरसे यदि ज्वालाएं निज हाथों से हंसते-हंसते आग लगाकर जलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा हास्य-रूदन में, तूफानों में अगर असंख्य बलिदानों में उद्यानों में, वीरानों में
अपमानों में, सम्मानों में उन्नत मस्तक, उभरा सीना पीड़ाओं में पलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा उजियारे में, अंधकार में कल कछार में, बीच धार में घोर घृणा में, पूत प्यार में क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में जीवन के शत-शत आकर्षक अरमानों को दलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा सम्मुख फैला अमर ध्येय पथ प्रगति चिरंतन कैसा इति अथ सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ असफ़ल, सफ़ल समान मनोरथ सब कुछ देकर कुछ न मांगते पावस बनकर ढलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा कुछ कांटों से सज्जित जीवन प्रखर प्यार से वंचित यौवन नीरवता से मुखरित मधुबन पर-हित अर्पित अपना तन-मन जीवन को शत-शत आहुति में जलना होगा, गलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
Good morning 🌞