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18 Mar 2020 · 1 min read

बाद में शख़्स वो मुस्कुराया बहुत

ख्वाब में जा के उसको सताया बहुत
इस तरह वक़्त हमने गंवाया बहुत

ज़िंदगी आजमा ले तू जी भर मुझे
मैंने भी तो तुझे आजमाया बहुत

था पराया जो अपना सा लगने लगा
अपना समझा जिसे था पराया बहुत

मंजिलें अपना चेहरा बदलती रहीं
साथ रस्तों ने लेकिन निभाया बहुत

काट कर हम जिसे खा गए बेवजह
मरने से पहले वो तड़फड़ाया बहुत

सामने ग़मज़दा था जो ग़म में मिरे
बाद में शख़्स वो मुस्कुराया बहुत

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