बादे-नौ-बहार चली
बाद-ए-नौ-बहार चली आ गयी हैं अब होली,
खिली हैं हर एक कली आ गयी हैं अब होली
सभी लोग मस्त हैं, अब नाचते हैं गाते हैं
तुम भी झूमो अपनी गली आ गयी हैं अब होली
रंग भी बिखरते हैं, बिखरते हैं ये जो कपड़ो पर,
बढ़ती हैं मुहब्बत दिली आ गयी हैं अब होली
पिचकारी-ओ-गुलाल, करते नारंग-ओ-सरसब्ज़,
हिंद की सूरत इसमें मिली आ गयी हैं अब होली
जानता हूँ मैं ‘तनहा’ नहीं हूँ अभी ग़ज़ल-गो मैं
गीत बन फिर ग़ज़ल चली आ गयी हैं अब होली!
3rd march 2k18
Tariq Azeem ‘Tanha’