*बादल दोस्त हमारा (बाल कविता)*
बादल दोस्त हमारा (बाल कविता)
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बड़े मजे की बात सुनो
है बादल दोस्त हमारा
(1)
जब मन मेरा किया बुलाया
छत पर मेरी आता
मुझे पीठ पर बिठा
दूर देशों की सैर कराता
बादल पर होकर सवार
मैने देखा जग सारा
(2)
जब मैं कहता, धीमे चलता
कभी दौड़ कर जाता
पर्वत-नदियाँ-शहर
पास में ले जाकर दिखलाता
रेल-जहाज-कार से बढ़िया
यात्रा इसके द्वारा
(3)
एक दिवस मैं बोला
“बादल ! घर के अन्दर आओ”
वह बोला “भीगेगा सब घर
मुझको नहीं बुलाओ”
सुनकर मैने और प्यार से
बादल को पुचकारा
बड़े मजे की बात सुनो
है बादल दोस्त हमारा
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451