बादल छाये, नील गगन में
बादल छाये, नील गगन में
भर आये क्यों, नीर नयन में
बेकल कटते, दिन-ओ-रैना
नींद न आये, कक्ष शयन में
स्मृति वन में उथल-पुथल भारी
वेग अधिक है, आज पवन में
जीवन मूल्य कुछेक बचे अब
होता सब कुछ स्वाह हवन में
– महावीर उत्तरांचली