बादल गीत
आजा बादल आजा बादल
घुमड़ – घुमड़ के छा जा बादल|
दादुर झींगुर तुझे बुलाते
पीपल पात लगे मुरझाने|
ईख खड़ी खेतों में रोती
अश्रु धरा के रज पी लेती|
मुरझाया सा लगता सावन
आजा बादल आजा बादल
घुमड़- घुमड़ के छा जा बादल
रवि की किरणों का तप हर ले
इसका तन मेघों से ढक ले |
नदिया प्यासी पोखर प्यासा
जन जीवन को तेरी आशा|
कब आओगे कहता सारस
आजा बादल आजा बादल
घुमड़ घुमड़ के छा जा बादल|
रचयिता-
रमेश त्रिवेदी
कवि एवं कहानीकार
ग्राम नरदी, पोस्ट पसगवां, तहसील मोहम्मदी, जिला लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश
व्यवसाय- कृषि एवं शिक्षण कार्य
सामाजिक सेवा एवं राजनीति
समाचार पत्र दैनिक प्रतिपल एवं स्वतंत्र हित में कविताओं का प्रकाशन एवं आकाशवाणी लखनऊ से काव्य पाठ |