बादलों ने ज्यों लिया है
गीत… बादलों ने ज्यों लिया है..
बादलों ने ज्यों लिया है, छीन सारा रंग ही।
हो गई है नींद सबकी, आज जैसे भंग ही।।
घिर गई पर्वत शिलायें, धुंध गहराते रहे।
छांटने को हाथ अपने, वात लहराते रहे।।
किंतु वह चलने लगे हैं, अंबुदों के संग ही।
हो गई है नींद सबकी, आज जैसे भंग ही।
हो रही बरसात ऐसी, सूखने आँगन लगे।
ताकते सब मौन होकर, वो गये जैसे ठगे।।
हो रहे हैं शून्य सारे, दामिनी से अंग ही।
हो गई है नींद सबकी, आज जैसे भंग ही।।
हँस रही अट्टालिका है, मंडियों में भीड़ से।
हम बिछुड़ते जा रहे हैं, जिंदगी में नीड़ से।।
बंदिशों ने हर लिया है, सोचने का ढंग ही।
हो गई है नींद सबकी, आज जैसे भंग ही।।
बादलों ने ज्यों लिया है, छीन सारा रंग ही।
हो गई है नींद सबकी, आज जैसे भंग ही।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’