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3 Jul 2021 · 1 min read

रात कटी जइसन-जइसन

रात कटी जइसन-जइसन
बात हुयी वइसन-वइसन

शरमाये लोग लुगाई
प्यार करैं अइसन-अइसन

पंख लगी तो प्रीत बरे
अग्नि जरे तइसन-तइसन

खोपरिया घूम गइल बा
घात मिली कइसन-कइसन

प्रेम सभै कुछ, हम जाने
लोग करैं पइसन-पइसन

•••

1 Like · 3 Comments · 327 Views
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
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