बात ही कुछ और है
परिस्थितियाँ हों विषम
अनुकूलताएं भी हो कम
तब जूझने के इस हुनर
की बात ही कुछ और है
बादल गरजते हो जहाँ
बिजली भीगिरती हो वहाँ
तब भीगने के इस हुनर
की बात ही कुछ और है
जब हारने का आभास हो
और खेलने का प्रयास हो
तब जीतने के इस हुनर
की बात ही कुछ और है
जब ऑंख में आँसू भरे
मुस्कान फिर मुख से झरे
दुख छिपाने के इस हुनर
की बात ही कुछ और है
✍️ सतीश शर्मा ।