बात हद से बढ़ानी नहीं चाहिए
बात हद से बढ़ानी नहीं चाहिए
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बात हद से बढ़ानी नहीं चाहिए,
जो गिरी है उठानी नहीं चाहिए।
हो सके तो चले आइये घर-नगर,
रात बाहर बितानी नहीं चाहिए।
आप बीती सुनाओ हर्ष से सदा,
भीत नकली सुनानी नहीं चाहिए।
जो घटे वो बताओ सदा और से,
खुद कहानी बनानी नहीं चाहिए।
प्रीत की जीत होती सदा आइना,
झूठ- मूठी निशानी नहीं चाहिए।
गैर नजरें बड़ी कातिलें मनसीरत,
आम से यूँ लगानी नहीं चाहिए।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)