बात बोलेंगे
ग़ज़ल
खुद ब खुद अब हालात बोलेंगे
हम नहीं और बात बोलेंगे
क्यों डरा तुम रहे दिखा आँखें
कैसे हम दिन को रात बोलेंगे
राज ए दिल नहीं छुपा सकते
इसलिए हर वो बात बोलेंगे
देश घायल नहीं करो इतना
सामने से वो घात बोलेंगे
खा रहे हैं नमक उन्हीं का जो
वे मुर्गे मुश्किलात बोलेंगे
खुल गए जो कभी किसी दिन तो
हम जुबाँ तजरबात बोलेंगे
तुम न बोलो कभी सुधा उनसें
सिर्फ अब कागजात बोलेंगे
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
वाराणसी ©®
22/9/2022