बात पुरानी याद आई
लबों पे फरियाद आई
बात पुरानी याद आई
कैसी वो लाचारी थी
समय की मारी थी
घुट घुट के जीना था
खुद से ही हारी थी
जीत ठोकर के बाद आई
बात पुरानी याद आई
ज़ख्म दिल में छुपाते रहो
आंसू आंख में सुखाते रहो
कोशिश ना छोड़ना कभी
हरपल उसे बुलाते रहो
सर पे फिर ताज आई
बात पुरानी याद आई
ऊंचा- नीचा डगर है
जीवन का सफर है
खोना पाना चलता है
सब समय का असर है
ये समझ ख़ाक आई
बात पुरानी याद आई
नूर फातिमा खातून “नूरी ”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित