बात दिल की आँसुओं से हो रही है
बह रहा है खारे पानी का समंदर
बात दिल की आँसुओं से हो रही है
नींद भी आगोश में लेती नहीं है
स्वप्न की सौगात भी देती नहीं है
जग रहे हम सारी दुनिया सो रही है
बात दिल की आँसुओं से हो रही है
हम दवा जिस ज़ख्म की करते नहीं हैं
बन वही नासूर फिर भरते नहीं है
पीर अब बर्दाश्त की हद खो रही है
बात दिल की आँसुओं से हो रही है
सिलवटें चिंताओं की इक दिन मिटेंगी
ज़िन्दगी में ये बहारें फिर खिलेंगी
आस ही कुछ बीज दिल में बो रही है
बात दिल की आँसुओं से हो रही है
07-06-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद