बात तब कि है जब हम छोटे हुआ करते थे, मेरी माँ और दादी ने आस
बात तब कि है जब हम छोटे हुआ करते थे, मेरी माँ और दादी ने आस पास अमरूद, पपीता, कटहल,बेर आदि के पौधे लगाये थे,साथ ही सब्जियां भी।बरसात में पेड़ पौधे बहुत तेजी से बढ़ते हैं मेरा बालमन पेड़ पौधों के दुनिया से अनिभिज्ञ था ,मुझे लगता था जैसे हम हैं वैसे वो भी होते हैं,पर कुछ ही समय में मुझे उनको देखकर हैरानी होने लगी वो बहुत तेजी से बढ़ रहे थे मैं रोज ख़ासकर कटहल के पेड़ों के पास जाकर उनसे बाते करती और उनके साथ अपनी कद मापा करती उनको कहती तुमलोग मुझसे छोटे हो इतनी जल्दी कैसे बढ गए ,सिर्फ पानी पीने से तुमलोग जल्दी बड़े हो जाते हो क्या?क़भी क़भी मुझे उनके लंबे होने पर ईर्ष्या भी होती थी,पर फिर भी मैं उनको अपना दोस्त मानती थी।मैं अक्सर उनसे बाते करती थी वो चुपचाप मेरी बातें सुनते ,एक बार उनके सारे पत्ते पीले होकर गिरने लगे मुझे लगा वो मर रहे हैं ,मुझे छोड़कर चले जायेंगे ,फिर मेरे घरवालों ने घेरा लगाकर उनको खूब पानी दिया और वो फिर से ठीक हो गए, आज जब मैं उनकी छांव में बैठती हूँ तो वो मुझे अपनेपन का अहसास देते हैं।।क़भी क़भी ऐसा लगता है उनसे बेहतर कोई दोस्त हो ही नहीं सकता जो बिना कुछ कहे साथ देता हो चुपचाप हमारे बाते सुनता हो।।