बात क्या है जो नयन बहने लगे
गीत….
बात क्या है जो नयन बहने लगे
दर्द मन का वह वही कहने लगे
रुक गए हैं कोर में वो इस तरह
ज्यों बनाकर घर वहाँ रहने लगे
बात क्या है जो नयन बहने लगे
दर्द मन का वह वही कहने लगे…..
तुम मिले ऐसा लगा कोई मिला
फूल बागों में नया जैसे खिला
लग गये देने झरोखों से खुशी
स्वप्न मन में तब नये पलने लगे
बात क्या है जो नयन बहने लगे
दर्द मन का वह वही कहने लगे…..
कल्पनाएं कह रही थी हो वही
मानता जिसको रहा हूँ मैं सही
देखता मैं रह गया प्रतिबिंब को
बिंब उनके फिर मुझे छलने लगे
बात क्या है जो नयन बहने लगे
दर्द मन का वह वही कहने लगे…..
यूँ लगा जैसे कहीं सब खो गया
और मैं उलझन लपेटे सो गया
जिंदगी की दौड़ में चलते हुए
व्यंग्य की कड़वाहटें सहने लगे
बात क्या है जो नयन बहने लगे
दर्द मन का वह वही कहने लगे….
जानते जो हैं नहीं अहसास को
तोड़ते अक्सर वही विश्वास को
थे हिमालय जो बने उम्मीद के
ताप पड़ते ही जरा गलने लगे
बात क्या है जो नयन बहने लगे
दर्द मन का वह वही कहने लगे…..
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)