बात के हो जादूगर इस अदा से उल्फत है ।
ग़ज़ल
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बात के हो जादूगर इस अदा से उल्फत है ।
आपकी शरारत तो बस लगे कयामत हैं ।।
हर तरफ नज़र आते धड़कनों की चाहत हो ।
क्या कहूं सुनो हमदम आपसे मुहब्बत है ।।
ढूंढती झरोखें से दूर बस नजर आयें ।।
देखते मची हलचल दिल करे बगावत है ।
जख्म ये गरीबों का देखता भला कौन वो ।
पास आ लगा दो मरहम फर्ज यें इबादत है ।।
लूटते गरीबों को हक़ सदा ही छिने जो ।
झूठ के ये वादे करते यही सियायत है ।।
ये जहां वाले कमजोर को सताते क्यों ।
दिल में पालते नफरत उफ़ यही रिवायत है ।।
दर्द ग़म भुलाकर भी “ज्योटी” मुस्कुराती बस।
जिंदगी हसीं लगती साथ तुम हो राहत है ।।
ज्योटी श्रीवास्तव (jyoti Arun Shrivastava)
अहसास ज्योटी 💞✍️