बात करनी सही नहीं आती
बात करनी सही नहीं आती
हमको कारीगरी नहीं आती
ख़ुशनसीबी मेरी नहीं आती
अब ख़ुशी की घड़ी नहीं आती
हमने धोखे हज़ार खाये हैं
हमको धोकाधड़ी नहीं आती
एक पल वो न मेरी किस्मत में
याद जिस पल तेरी नहीं आती
काविशें ख़ूब करके देख चुका
बात लब पर कभी नहीं आती
तिश्नगी दिन-ब-दिन बढ़ी है सदा
ख़ुश्क हैं लब नमी नहीं आती
इश्क़ में खो गये हैं हम इतना
अब कोई बन्दगी नहीं आती
प्यार का दिल में सिर्फ़ ज़ज़्बा है
दोस्ती – दुश्मनी नहीं आती
आज तक दिल की बात शे’रों में
यूँ बहुत सी कही नहीं आती
– डॉ आनन्द किशोर