बात एक फूल से…!
फूल डाल का मुझसे बोला ,
मुझे तोड़ने वाले पहले ,सुन ले बात मेरे मनुआ की ,
फिर अर्पण कर लेना मुझको, तुम अपने भगवान को ।
फूल डाल का मुझसे बोला……।।
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जिस डाली पर खिला हुआ हूँ , वही है मेरा घर आँगन ,
पल्लव मेरे दादा जैसे , कलियाँ मेरी सगी बहिन ,
जब तक जुड़ा हुआ डाली से खुश हैं सब परिवारी जन ,
जिस पल टूटूँगा डाली से ,वहीं खत्म मेरा जीवन,
मुझे तोड़ कर मुझे नहीं तुम, लाश मेरी ले जाना ,
फिर बेशक पूरा कर लेना, पूजा के अभिमान को ।
फूल डाल का मुझसे बोला…।।
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खाली हाथों लौट गया मैं, फिर प्रभु के द्वारे आया,
बोला भगवन आज नहीं मैं कुछ अर्पण करने लाया,
कैसे लाश फूल की लाता, मुझे फूल ने बतलाया,
इसीलिए मैं द्वार तुम्हारे खाली हाथ चला आया,
अर्पित हैं भावों के जीवित पुष्प चरण कमलों में,
फिर बेशक मत देना मुझको पूजा के वरदान को ।
फूल डाल का मुझसे बोला…।।
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-महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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