बातें बनी अतीत
****बातें बनी अतीत (छप्पय- छंद)****
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बातें बनी अतीत , हो जाती बहुत भारी।
यादें देती चीर , बन कर बड़ी बीमारी।
सीना करती शीत , चढ़ती जैसे खुमारी।
मंद – मंद मनुहार,ह्रदय को लगती प्यारी।
मधुर – मधुर मुस्कराती,बाला कोई कुंवारी।
घर-आंगन है महकती,फूलों भरी फुलवारी।
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सुखविन्दर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)